Mukesh Ambani ने जियो के डायरेक्टर पद से दिया इस्तीफा, आकाश अंबानी बने चेयरमैन
Mukesh Ambani ने जियो के डायरेक्टर पद से दिया इस्तीफा, आकाश अंबानी बने चेयरमैन
नई दिल्ली। उद्योगपति मुकेश अंबानी (Mukesh Amabani) ने रिलायंस जियो (Reliance Jio) के बोर्ड से इस्तीफा दे दिया है और कंपनी की बागडोर बड़े बेटे आकाश को सौंप दी है। इसे 65 वर्षीय अरबपति द्वारा भावी उत्तराधिकारी तैयार करने के रूप में देखा जा रहा है। रिलायंस इंडस्ट्रीज की डिजिटल शाखा, रिलायंस जियो इन्फोकॉम लिमिटेड ने मंगलवार को घोषणा की कि मुकेश अंबानी 27 जून को कंपनी के निदेशक के रूप में इस्तीफा दे देंगे। स्टॉक एक्सचेंज को दिए गए एक आवेदन में रिलायंस जियो इंफोकॉम (Reliance Jio Infocomm Limited) ने कहा है कि 27 जून को हुई एक बैठक में कंपनी के बोर्ड ने निदेशक मंडल के अध्यक्ष के रूप में गैर-कार्यकारी निदेशक आकाश अंबानी की नियुक्ति को मंजूरी दे दी है। अन्य नियुक्तियों में पंकज मोहन पवार को 27 जून से पांच साल के लिए कंपनी का प्रबंध निदेशक नियुक्त किया गया है। साथ ही रामिंदर सिंह गुजराल और केवी चौधरी को स्वतंत्र निदेशक नियुक्त किया गया है।
कमान आकाश के हाथ
27 जून को हुई बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स की मीटिंग में आकाश अंबानी के नाम पर मुहर लगी। इससे पहले आकाश अंबानी बोर्ड में नॉन एक्सीक्यूटिव डायरेक्टर के पद पर कार्यरत थे। मंगलवार को स्टॉक एक्सचेंज में कंपनी की तरफ से की गई फाइलिंग में यह बात सामने आई।
अमेरिका की ब्राउन यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र में स्नातक आकाश अंबानी से पहले उनके पिता मुकेश अंबानी कंपनी के चेयरमैन के नाते काम देख रहे थे। मुकेश अंबानी का चेयरमैन पद से इस्तीफा बोर्ड ने स्वीकार कर लिया है। हालांकि वह जियो प्लेटफॉर्म्स लिमिटेड के चेयरमैन बने रहेंगे। आकाश अंबानी की नियुक्ति को नई पीढ़ी को नेतृत्व सौंपने के तौर पर देखा जा रहा है। जियो के 4जी इको सिस्टम को खड़ा करने का श्रेय काफी हद तक आकाश अंबानी को जाता है। 2020 में दुनियाभर की बड़ी टेक कंपनियों ने जियो में निवेश किया था और इस वैश्विक निवेश को भारत लाने में भी आकाश ने खूब मेहनत की थी।
रिलायंस में अहम बदलाव
एक और बड़ा बदलाव करते हुए रिलायंस जियो इनफोकॉम लिमिटेड ने पंकज पवार को अगले 5 वर्षों के लिए कंपनी का मैनेजिंग डायरेक्टर नियुक्त किया है। एडिशनल डायरेक्टर रामिंदर सिंह गुजराल और के.वी. चौधरी अब स्वतंत्र निदेशकों को तौर पर काम देखेंगे। उनकी नियुक्ति भी 5 वर्षों के लिए प्रभावी होगी। हालांकि शेयरधारकों के अनुमोदन के बाद ही यह नियुक्तियां मान्य होंगी।